उम्मीद

 

फिर उड़ेगी अबाबीलें.
मैं देखा करूँगा-
आसमान के सीने में उनकी उड़ान.


बादलों को चिढ़ाते हुए उनका गुज़र जाना. 
अपनी धुन में खोया रहना-
चीलो के ख़तरे के बावज़ूद 
उन्मुक्त, निशंक उड़ान .
 


तारीख: 18.08.2017                                    कमल किशोर पाण्डेय









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