नज़्म पढूँ , ग़ज़ल पढूँ या इश्क़ के अश'आर कहूँ या रोज़ मुल्क में चल रहे हालात ज़ार ज़ार कहूँ
दिल को चैन दें सुकूँ दें , जज़्बात ऐसे कुछ ही हैं ताली वाला शेर पढूँ या सिसकी वाली बात कहूँ
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