सुना है सदा से की हमारे जो भीतर है वह है महत्वपूर्ण
पर आज जब सौंदर्य ही सब कुछ है स्व्यं को पाते है क्यों अपूर्ण
जब कोई कहे कि सशक्त नहीं की कुछ कर पाऐ
जब कोई कहे कि सुन्दर नहीं की तुम पर किसी का दिल आये
सुंदरता बन गया है जीवन का आवश्यक हिस्सा
मेकअप और ब्रांडेड कपडे ही चलन का है किस्सा
फिर फेसबुक ट्विटर और है इंस्टाग्राम
जहां लोग छिपाते है अपने दर्द तमाम
चित्रों में फ़िल्टरो की छन्नी का तकनीकीकार्य
करते है फोटो शॉप बनते है स्वीकार्य
स्क्रीन के पीछे विजय पर आनंद मानते है
आप सुंदर हैं पढ़ मन टिप्पणी के पोखर में नृत्य करता है
सैकड़ों पसंद का अंगूठा कितना सकारात्मक लगता है
फिर वास्तविक दुनिया में वापस फिर लौट कर
जब पता नहीं कोई वैसा सुन्दर
करता नहीं कोई फिर वैसी तारीफ
बढ़ती जाती है फिर भीतर एक तकलीफ
मेरा सुन्दर मन है या सुन्दर है मेरा तन
सुंदरता के अलावा भी बहुत कुछ है जीवन
सुंदरता के अलावा इस सच को मानना अब पूर्ण
जो भीतर है उसी से होती है वक्तित्व की गणना सम्पूर्ण