वे झूठे वादे करते हैं

Gazal Shayari

वे  झूठे  वादे  करते  हैं।
धन औ दौलत पर मरते हैं।।

खून बहा पानी के माफिक,
ईश्वर  बंदे  से  डरते  हैं।

इंसा  जब  बूढ़ा  हो  जाए,
ज्यों आम पके हों झरते हैं।

अनुशासन वे क्या सीखेंगे,
प्रतिदिन जुर्माना भरते हैं।

अपराधों को रोक सके जो,
ऐसे  मुंसिफ  पे  मरते  हैं।


तारीख: 26.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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