सनम वो बेवफा निकले

गिरे थे इश्क में जिनके, सनम वो बेवफा निकले,
जिन्हें बादल समझ बैठे, असल में वो धुआँ निकले।

हमें लगता था के ताउम्र उनका साथ होगा अब,
ये कह कर आ रहें हैं हम, न जाने वो कहाँ निकले।

बुरी नज़रें तो जैसे खा कसम पीछे पड़ी हैं यूँ,
नज़र हमको लगी हर बार, घर से हम जहाँ निकले।

गिरे थे इश्क में जिनके, सनम वो बेवफा निकले,
जिन्हें बादल समझ बैठे, असल में वो धुआँ निकले।


तारीख: 05.06.2017                                    विजय यादव




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