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ग़जल / शायरी - पढ़िए हमारी नयी रचनाएं
इंसानों के खूंखार चेहरों से डरते हैं अब - मारूफ आलम
रूह कब्ज करो,हथेली पे जान को उतारो - मारूफ आलम
खामोशी से कमजर्फों की तरह हम - मारूफ आलम
जुबां पे सत्ता का जब पहरा हो जाता है - मारूफ आलम
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक - मारूफ आलम
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की - मारूफ आलम
किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे - मारूफ आलम
तेरे पैंतरे को तेरे दंगल को खूब समझते हैं - मारूफ आलम
किसी को दिल के ज्यादा पास नहीं रखता - मारूफ आलम
तेरी आँखों का सागर हो गया हूँ - आकिब जावेद
कुछ किस्से और कुछ कहानी छोड़ आए - सलिल सरोज
ये कैसी बेख़बरी है - सलिल सरोज
सुनिए (नज़्म) - सलिल सरोज
हम भी उधर जाते हैं - सलिल सरोज
अपनी आदत पर नज़र रखिए - सलिल सरोज
किसी को दिल के ज्यादा पास नहीं रखता - ????? ???
दिल में तेरे अब ठिकाना कर लिया - आकिब जावेद
जब से अपना जख्म छिपाना आ गया - सलिल सरोज
ज़िन्दगी में किसी पे मेहरबां हम थे - आकिब जावेद
मौत सर पे मिरे खड़ी होगी - आकिब जावेद
बद्दुआ - जॉनी अहमद क़ैस
हज़ारों दर्दो-ग़म के दरम्यां हम थे - आकिब जावेद
ख़ुदा की यूँ कुदरत लिखेंगे - आकिब जावेद
मुफ़लिसों को दुनिया में क्या कोई अधिकार नही - आकिब जावेद
देख के तुम मुस्कुराओ तो सही - आकिब जावेद
तेरे ख़ामोश होठों पर - आकिब जावेद
सूरत कैसी सीरत कैसी - आकिब जावेद
हमारी बस्ती में दिखी एक दिन - आकिब जावेद
हज़ारों दर्दो-ग़म के दरम्यां हम थे - आकिब जावेद
जब से आईने से नज़र मिलाने लगे हैं - सलिल सरोज
क्या बात है कि घबराए नज़र आते हो - सलिल सरोज
तेरे शहर में फिर से आना चाहता हूँ मैं - सलिल सरोज
ये दुनिया हमें रास आई नहीं - सलिल सरोज
बहुत डराते हो हमें अपने तख्तों - ताज से - सलिल सरोज
जब भी मेरा किरदार बताया जाएगा - सलिल सरोज
वो सफ़र में मिला नही होता - आकिब जावेद
दिवाली मनाएं खुशियाँ लुटाएँ - आकिब जावेद
रात दिन लब पे नाम है तेरा - बलजीत सिंह बेनाम
लॉकडाउन में पढ़िए दूरियों पे लिखे कुछ चुनिंदा शेर - यायावर
याद नहीं आता - जॉनी अहमद क़ैस
जब अपने तलवार पकड़ के बैठ गए - शिवम शर्मा गुमनाम
अब तुम्हारा रहम नहीं मुझे भी हिस्सेदारी चाहिए - सलिल सरोज
क्या मेरी आरज़ू क्या - डॉ. रूपेश जैन
जब ज़िन्दा था - डॉ. रूपेश जैन
मेरी ग़ज़ल भी तुम्हारी रोटी जैसी हो जाए - सलिल सरोज
ज़मीन के हाथों की लकीर जब उकेड़ी गयी - सलिल सरोज
वो अपनी दुआओं में अब भी असर रखता है - सलिल सरोज
गज़ब किया - सलिल सरोज
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कविता: सपने - जॉनी अहमद क़ैस
शायरी / ग़ज़ल: तेरे शहर में फिर से आना चाहता हूँ मैं - सलिल सरोज
लेख: देश में पर्यटन का विकास - सलिल सरोज
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