बाबुल

बाबुल मेरे तेरा अंगना क्यों बेगाना हो गया 
माँ तेरा अंग क्यों तुझसे अनजाना हो गया

भाई मेरे, बाबुल मेरे 
ये कैसी विदाई है, ये कैसी जुदाई है 
तेरी प्यारी बहना का माली क्यों रूठ गया

शहनाई के सुरों से बाबुल मेरे 
मेरी अंखियो का काजल क्यों धुल गया

रब्बा मेरे 
ये तुने कैसी रीत बनाई
बाबुल के मन में पराई की प्रीत जगाई 
मुझे मेरे बाबुल को हंसाना मुश्किल हो गया

बाबुल तेरी पगड़ी का मान 
माँ तेरी ममता का सम्मान 
मेरे शीश पर आंचल बनकर हमेशा रहेगा 
नये अंगना में भाई
तेरी प्यारी बहना के लिए प्रत्येक बंधन 
बाबुल मेरे तेरे अंगना जैसा रहेगा 
परंतु बाबुल मेरे 
क्या मेरा नया अंगना 
तेरे अंगना जैसा रहेगा 
मुझे अपनी बेटी से बढकर प्रेम करेगा 
         
भईया मेरे अब तक मेरा आंचल 
तेरे स्नेह की पवन से लहराया है 
छलका जो कभी आंसू 
मेरी अंखियो से
उसे तुने मोती बनाया है 
कुछ तो बोल भाई 
क्या मेरा सजना तेरे जैसे
मेरी खुशियो का ख्याल रखेगा

मईया मेरी तू भी तो कुछ बोल
इस तड़पती जुदाई के राज खोल 
झूंठ ही सही, दिलासा तो दे मुझे 
मईया तेरे आंचल तले 
मुझे हमेशा शीतलता मिली है 
क्या तेरा आंचल छोड़कर 
दहेज की आग से 
मुझे जलना तो नहीं पडे़गा


तारीख: 18.10.2017                                    देवेन्द्र सिंह उर्फ देव









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