चांदनी रात में हम तेरे साथ में यूँही जलते रहे

चांदनी रात में हम तेरे साथ में
यूँही जलते रहे और मचलते रहे ।

तेरी शर्म ओ हया तेरा श्रृंगार है
तू मेरा मैं तेरा एक संसार है
दिल की बातें क्यों मुझसे कहते नहीं
प्यार इतना क्यों अपना लाचार है ।

चांदनी रात में हम तेरे साथ में
यूँही जलते रहे और मचलते रहे ।

तीर नज़रो से तुम यूँ चलाते रहे
जान अपनी हम पल पल गॅवाते रहे
जुल्फे गालो पे आई जो तुम्हारे कभी
हम उन्हें प्यार से फिर हटाते रहे ।

चांदनी रात में हम तेरे साथ में
यूँही जलते रहे और मचलते रहे ।

हसरते हम दिलो की दवाते रहे
दिल दुखे न किसी का कस्मे खाते रहे
आँखों में ख़ाब थे हमने पाले मगर
सारे ख़ाबों को खुद ही जलाते रहे ।

चांदनी रात में हम तेरे साथ में
यूँही जलते रहे और मचलते रहे ।

बात कैसी है तेरे मेरे दरमयां
कर न पाऊँ मैं ये हाल ए बयां
रूह तेरी औ मेरी हुई एक है
छोड़कर अब मुझे जाओगे कहां ।

चांदनी रात में हम तेरे साथ में
यूँही जलते रहे और मचलते रहे ।


 


तारीख: 18.10.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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