न जाने एक आस सी जगी क्यूँ है
मेरी आँखों में ये नमी क्यूँ है ।
एहसास है तुझको मेरी हर सांस का
फिर मेरे प्यार में कमी क्यूँ है।
दीपक जो जलाया मैंने तेरे नाम का
बता तुझको ये बात खली क्यूँ है ।
जानता हूँ तुझसे मिलना किस्मत नहीं
एक आग सी दिल में जली क्यूँ है ।
इकरार न किया कभी लबों से तूने
मेरी आहट से दिल में तेरे खलबली क्यूँ है ।
जमाने के डर से ख़त्म जो की कहानी "रिशु"
याद उसकी तेरी आँखों में बसी क्यूँ है ।