ज़िन्दगी की ये आख़िर, बिसात क्या है
यहाँ जीत क्या है, और मात क्या है
दिल मे फ़रेब, और आँखों मे अश्क़
तुम हीं कहो, ये जज़बात क्या है
मेरी वफ़ा ने हीं तुझे, बेवफ़ा बनाया
वरना तेरी, औक़ात क्या है
नफ़रतों में भी, रहता है मेरी
उस शख़्स में ऐसी, बात क्या है
ये मेरी पीठ, और वो तेरा ख़ज़र
बता दोस्ती में, ये सौगात क्या है
ले लो जान मेरी, या प्यास बुझा दो
यूँ मुझे तड़पाना, ये दिनरात क्या है
कभी ऐसे भी आओ, कि जाने न पाओ
दो घड़ी की ये अपनी, मुलाकात क्या है
वो तुम्हीं तो थे, जो मुझे छोड़ गये थे
अब ये बिन मौसम, बरसात क्या है
न ख़ुदा के लिये भी, तुमको मैं छोड़ूँ
तो फ़िर ये ज़हाँ, ये क़ायनात क्या है
मेरे हीं लिये जब, उठाया है पत्थर
तो फ़िर ये झिझक, ये एहतियात क्या है