याद उसकी रूलाती रही रात भर
खमोशियाँ गुनगुनाती रही रात भर
पन्ने दर पन्ने पलटते हुए
अहसासों को जलाती रही रात भर
कतरा-कतरा सफर तय हुआ
दूरियाँ मिटाती रही रात भर
अगोश में लिए मुझको
जिंदगी दिखाती रही रात भर
आँसूओं को झलकने की इजाजत ना थी
वो हर-पल हँसाती रही रात भर
देर से जाग जाना तुम्हें जाना कहाँ हैं
आँखों से जाम पिलाती रही रात भर
नींद आयी नही की खो ना दूँ उसे
वो मुझे सुलाती रही रात भर
बेचैन ना हो "राम" में तेरे ही पास हूँ
अहसास इस बात का दिलाती रही रात भर