प्यार प्यार से बाँधा मुझको
पैर पैर से बांधा मुझको|
हो सकते थे ये भी सबल
नजाकत से नापा मुझको|
यूँ बांधा की चल ना सकूँ
चुगली करें जो चल भी दूँ|
डोरी बाँधी रिश्तों की
बेडी पहना दी गहनों की|
मुझको भाये मेरे बंधन
कैद से अनजान रहा मन|
सदियाँ बीती इस बंधन में
नील पड गये अंतर्मन में|
खोल दो बंधन पग ये चले
अम्बर को कर लें कदमों तले|
पीड़ा से मुक्ति जो मिले
श्रृष्टि सदियों तक ये चले |