हां मैं नारी हूं

बहती मैं अविरल धारा सी 
चमकती चांद सितारा सी 
मैं प्रेम की पिटारी हूं 
हां मैं नारी हूं ....

रूकना मुझे आता नहीं 
डरना मुझे भाता नहीं 
मैं शक्ति की चिंगारी हूं 
हां मैं नारी हूं ....

त्याग और सहनशीलता 
ये दोनों मेरे हथियार 
मैं न हारूगीं ,न हारी हूं
हां मैं नारी हूं ....

तुम समझ लो मुझको एक बार 
पालो मुझे और मेरा प्यार 
मैं प्रेम की पुजारी हूं 
हां मैं नारी हूं .....

दृढ़ संकल्प और मर्यादा 
मैंने ही तो इनको साधा 
बहन बेटी और महतारी हूं 
हां मैं नारी हूं ....


तारीख: 12.04.2024                                    सीमा शर्मा









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है