तुम उठकर सोते हो, और सो कर उठ जाते हो
बस इस उठने-सोने के क्रम से घबराते हो?
सूरज ओझल होगा, पर रौशनी फिर नज़र आएगी
मसला तब होगा जब रातों में भी नींद नहीं आएगी ।
जब उठकर देखोगे देखोगे सच और वह सच रात में सोने न देगा,
और सपनो की कल्पना ही कर मन आहें भरेगा ।
सच-सपना-सच की आँख मिचोली का खेल फिर तब ही ख़त्म होगा ,
जब सपने को सच करने का सपना दम भरेगा ।
रातों में नींद न आने का मसला भी खुद से दूर होता पाओगे,
जब उठ कर सोने के बाद फिर उठना नहीं, जागना सीख जाओगे ।