तेरी बन जाऊं

आँखों हीं आँखों में ऐसी मदिरा 
घोल कि तेरी हो जाऊं 
अपने होंठो के चाभी से मेरे दिल 
को यूं बंद कर कि तेरी बन जाऊं 

अपने दिल के पिंजरे में यूं कैद कर 
कभी उड़ न पाऊं 
अपने हाथों की जंजीरों में यूं जकड़ 
जिसे कभी तोड़ न पाऊँ 

अपने उंगलियों को मेरी जुल्फों 
में कुछ यूं उलझने दे ,जिसे मैं 
कभी सुलझा न 
पाऊँ 
अपने रातों में कुछ इस तरह शामिल 
कर, मुझे जो 
मैं कभी सो न पाऊँ 

अपने रूह को कुछ यूं आवाज 
लगा, 
जो मेरे रूह को दस्तक दे 
जाये 
खुद को कुछ यूं बेताब कर, जो 
मैं खुद बेताब हो 
जाऊँ 
 
जिसे कभी तोड़ न पाऊँ 


तारीख: 12.04.2024                                    निकिता कश्यप









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