गलतियॉ थी अपनी ना समझी थी अपनी बातें थी अच्छी पर लगी बुरी
मेरा दिल लगाना हो गया अफ़साना तेरे मेरे दरमियॉ अब रहा न कुछ
रह गया अकेला मैं कोरा कागज न जाने किसने मिटाया उन चन्द शब्दों को
जिसे प्यार कहते हैं |
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