लाज़म ठगी

यूँ तो हर मस्त मौसम की रवानी देखी है
दरिया में लहरो की शैतानी देखी है
गुलशनो पे बहारो की और फ़सलो पे 
बारिशो की मेहरबानी देखी है
ख़ामोशी के बाद तूफ़ानो की मनमानी देखी है
लौ से ही होते है चिरागो में उजाले पर
उन्ही लौ से हुई आगजनी की कहानी देखी है
लोग डरते है दुश्मनो की दुश्मनी से 
हमने दोस्तों में हर किस्म की बेइमानी देखी है।।
यूँ तो हर मस्त मौसम की....

 


तारीख: 22.02.2024                                    आलोक कुमार




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