माँ को हमेशा मुस्कुराते देखा
तो यही जाना कि माँ को कभी दुख नहीं होता,
माँ का दुख हमेशा पर्दे के पीछे रहा
उनकी अदृश्य इच्छाओं की तरह ही।
माँ के पाँव का दर्द सिर्फ उनका था
माँ का सुख, माँ के हिस्से का निवाला हमारा।
तारीख: 22.02.2024अनुपमा मिश्रा
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