आइना मुझको मेरी औकात बताता है
कूछ इस तरह से हर रोज़ सताता है ।
जब कभी भी सामने गया हूँ मैं उसके
उम्र ढल जाने का एहसास कराता है ।
लाख कर लूँ जतन खुश रहने की मैं
हाल-ए-मुल्क मेरा मुझको रुलाता है ।
मसअले मुझसे बेहद मुतमईन हैं रहते
और चैनो अमन दूर से ही मुस्कुराता है ।
ज़िंदगी की अदा भी कमाल है यारों
मर के है जिंदा,कोई ज़िंदा मर जाता है ।