बायीं आँख मीचके दाया हाथ खींचके
मार पत्थर पे पत्थर, बच्चू ने तोड़े पाँच आम।
धर पीछे से चौकीदार ने, मरोडा कान,
क्यो बे बच्चू शैतान!
मिमिया के बोला बच्चू, रे चच्चू
मैने नहीं, गुरुत्वाकर्षण ने गिराये आम।
चच्चू हैरान, हैं कौन!
झट से भागा बच्चू दबोच के पाँचो आम।
जा भिडा साइकिल मे, पडिंतजी धड़ाम
मारी मुँह पे बच्चू के चप्पल, मनहुस कलुआ शैतान!
हाथ जोड़ के बोला बच्चू, जी जजमान
मै नहीं गुरूत्वाकर्षण का है ये काम।
पंडित हैरान, हैं क्या?
झट से भागा बच्चू, उठाके साइकिल, कर जय सिया राम।
आधा खडा आधा बैठा, मार पैडल जो़र जो़र से
रेस लगा रहा बच्चू रेलगाड़ी से,
हिलते उछलते, गुरूत्वाकर्षण से गिर गए पीछे आम सारे,
हरा बच्चू को, फिर रेल निकल गयीं आगे।
फेक साइकिल, पहूचाँ स्कूल देर मे भागे भागे
बच्चू समझ न पाता ये गणित, मास्टर को
बाल मे से है कान या कान मे से है बाल।
छोड़ गुना-भाग मास्टर ने मरोड़े बच्चू के कान
कहा था रे नालायक शैतान?
जी बडकी को ले जाना था दवाखाने
बच्चू के रोज़ नये रहते बहाने।
अपने झूठ के गुरूत्वाकर्षण से, पिछवाड़े संटी खायी पाँच
बना बच्चू मुर्गा मैदान मे, आधा खडा आधा बैठा।
रो पडा, बार-बार आसमान मे झाककर खोजने लगा
साल भर से बच्चू बडकी को ढूंढ रहा था।
भली बडकी को भगवान ने पास रख लिया है,
शैतान बच्चू से खिसयायी बडकी दूर चली गयीं है
अम्मा हमेशा सुनाती नयी कहानी, बच्चू भी होता हैरान
बिना सामान, बस एक लाल साडी ओढे गयी है।
ऐ बडकी, क्या धरती सच मे गोल-गोल घूमती है?
ऊपर से क्या मै मुर्गा भृमांढ मे चक्कर लगाता दिखता हूँ?
दोनों टांगो के बीच मे से झाका बच्चू,
वो नन्ही काली नाक, छोटा भूरा मूह उसे ताक रहा था।
बच्चू भी उसके जैसे उसे गर्दन हिला-हिला देख रहा था
पीछे जाए या आगे आए चारो टांगे उसकी समझ न पाए।
बच्चू पुचकारे, वो किकियाये
पूछ हिलाके रुक-रुक के आगे आए।
उठ खडा बच्चू मुड के बोला भौ,
झट पलट चारो टांगे समेट सरपट भागा वो।
चिल्ला के जो़र से, गुरूत्वाकर्षण!
बच्चू दौडा उसके पीछे।
लपक के ले लिया गोद मे,
कहा भागता है, गुरूत्वाकर्षण शैतान!