बदनाम मायानगरी

जज़्बातों को हाशिए पर रख,
जिंदगियों से खिलवाड़ करती है।
यह मायानगरी है जनाब,
किसी के अनुराग में नहीं पड़ती है।

बनावटी है, बदनाम भी कहलाती,
तो कभी किसी का काल बन जाती।
आडंबर और दिखावा जिसकी देन है।
यह मायानगरी है जनाब,
किसी की सादगी इससे सही नहीं जाती है।

अपने सपनों को पंख लगाने,
यहां जो भी आता।
इसकी तानाशाही लौ में वो भस्म हो जाता।
शिथिल मन पे नियंत्रण ना रह पाता,
उसका मन ही उसका शत्रु बन जाता।

इसां को कठपुतली की तरह नाच नचाती हैं।
जो नाच गया,उसको गले लगाती है।
असंमजस में दिखने वालों को नये खेल दिखाती है।
यह मायानगरी है जनाब,
झूठ को सच,सच को झूठ बताती है।


तारीख: 03.04.2024                                    मानसी शर्मा









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