जला सको तो ;
जलाओ,
दीया ;
भीतर का,
जिस से कि -
आदि शक्ति माँ बाहू की डोरियां ,
यूं ही बन्धी रहें साथ
और
ऋषि श्रृंग की इस पत्थर -प्रतिमा से
फुट पड़ें
प्यार और आशीर्वाद के ,
ये दो शब्द आज -
"दुनिया बचे "
मिटे ये प्राकृतिक उत्पात ।
जला सको तो ;
जलाओ ,
दीया ;
भीतर का ,
जिससे कि -
शिव की जटाओं से अवतरित ,
वीरभद्र रूप ;
कांगलधिपति मूल ,
पझारी महाराज बाहू मिटा बैठे ,
कोरोना काल की
प्रलयंकारी दृष्यता ।
जला सको तो ;
जलाओ ,
दीया ;
भीतर का ,
जिससे कि -
प्रकट हो
वो विभा ,कि -
इष्ट देव की टोह में ;
समस्त ,
दिव्य शक्तियों की छोह में ;
मानव जीते ,
कोरोना हारे ,
अनैक्य में एेक्य का संकल्प लिए
कहता हूँ मैं
"सत्य" ,दीया भीतर का ।