इस दुनियां में दुखी अनेकों हैं
कुछ हंसते हंसते रोते हैं
कुछ रोते रोते सो जाते हैं
कुछ मेहनत से ज्यादा पाते
कुछ मेहनत का भी ना पाते हैं
कुछ आधा खाना व्यर्थ बचाते हैं
कुछ आधा भी ना पाते हैं
कुछ लाखों पाकर दुखी हुए
कुछ सौ–दो सौ में जश्न मनाते हैं
इस दुनियां में दुखी अनेकों हैं
कुछ हंसते हंसते रोते हैं
कुछ रोते रोते सो जाते
अब बात हैं उसकी करते
जो हालत से मजबूर हुए
कष्टों को ढोते ढोते
अपने लक्ष्यों से कुछ दूर हुए
कष्ट सहे दिन प्रतिदिन इसने
पर लक्ष्य अभी ना छूटा है
मंजिल पर जाने का रस्ता
इनसे नहीं अछूता है
इस दुनिया में दुःखी अनेकों हैं
कुछ हंसते हंसते रोते हैं
कुछ रोते रोते सो जाते
कुछ खुद के मद में चूर हुए
जो शाही वंश के वारिस थे
कुछ मंजिल को हैं दौड़ पड़े
जो हालत से लावारिस थे
संघर्ष नहीं था जीवन में
ऊंची उड़ान ना भर पाए
जिसने जीवन भर संघर्ष किया
वो पर्वत तक हैं चढ़ आए
इस दुनियां में दुखी अनेकों हैं
कुछ हंसते हंसते रोते हैं
कुछ रोते रोते सो जाते हैं
जो हालत में हैं रम जाते
आगे पहुंच ना पाते हैं
जो हालत से हैं लड़ जाते
वो रोके ना रुक पाते हैं