फ़साने ज़माने के हर दौर में बदले
निशाने हाथो में तेरे कौर के न बदले
उतना दौड़े जितना दौड़ाया बच्चो ने पर
हौसले तेरे खिलाने के एक चूर न बदले
बांधे सबको एक डोर में कस के
जन्नत भी बेरंग लागे तेरे आँचल में बस के
यहां तो भगवान भी युगों के अनुसार हैं बदले
बस माँ है एक जो न किसी भी हाल में बदले