नव दौर ये जो सोचूं

नव  दौर  ये  जो सोचूं , कटु लगे पर सच यही है ।
जीवित हो आप जब तक, कोई मोल ही नहीं है ।‌।
लिख दो या कह किसी से, न मैं चाहता हूँ जीना ;
गम्भीरता  से   लें  लें  ,  विरले  ही  जो  कहीं हैं ।।

तुम गर सभी के दिल में ,देखते जगह का सपना ;
मरना  पड़ेगा  आखिर ,  ये  सपना तभी सही हैं ।।
जीवन  के‌  शांत  होते , देख भावुक हो ज़माना ;
श्रृद्धा सुमन कर अर्पित ,तब प्रशस्ति हो रही हैं ।।

जीवित हो आप जब तक ,कोई मोल ही नहीं है ।‌।

दिल से पढ़े जो अब तक ,सदा याद भी ये रखना ;
जीवन  की   ये  उदासी , रह  सुखों  को दही है ।।


तारीख: 26.02.2024                                    शशाङ्क शुक्ल









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