वो सारे पीड़ा और नक्काशी किए सलाखें
(जो जड़े गए है समाज से प्रेरित हो हर प्रेमी प्रेमिकाओं के पांव में )
उन्हें लांघ जब तुम मेरे शीश को चूमोगी तो वो चुम्बन प्रेम का पवित्र ध्वज होगा
जो दो आत्माओं के क्षितिज का
स्वतंत्र साक्ष्य बन युगों युगों तक
मेरी लिखी कविताओं के माध्यम प्रेमी मन के चौखट
पे फहराया जायेगा
हाँ वही होगा हमारा
स्वतंत्र प्रेम ध्वज