ये रात भी

यही सोच के ये रात भी
किस कदर तरसी होगी
तूफ़ान आया होगा
बिजली गरजी होगी
उन्को भी क्या ध्यान मेरा
आया होगा इस बरसात में
या फिर उनके लिए बस
यू ही आज इस रात में
कुछ मौसम बदला होगा
कुछ बून्दे बरसी होगी
यही सोच के ये रात भी
किस कदर तरसी होगी....

तारीख: 12.02.2024                                    पारुल शाही




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है