कोई बंदिश दमदार नहीं

कोई बंदिश दमदार नहीं, समझा मुझको गया
ताले तोड़ मेरे घर के, चोर बाहर से ही चला गया

यकीन था हम-सायो पर, कुछ तो मेरा ख्याल करेंगे
वो अजनबी मुझे, मौहल्ले का मुआइना करा गया

कीमती नहीं लगा होगा शायद, सामान मेरे घर का उसे
आज कोई ग़रीब मुझे मेरी औकाद बता गया

दुआएँ ही निकलती है, मुंह से उसके लिये
बेचारा मेहनत का मारा, खाली हाथ चला गया


तारीख: 16.07.2017                                                        अंकित अग्रवाल






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