कुरसी जोड़ो यात्रा

कई चुनाव हारने के बाद बाबा बोतलदास की पार्टी कुरसी जोड़ो यात्रा पर निकल गयी है। यात्रा में आगे-आगे बाबा चल रहे हैं तो पीछे-पीछे उनके अनुयाई चल रहे हैं।  यात्रा शुरु करने से पूर्व बाबा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी इस यात्रा के माध्यम से लोगों के साथ-साथ  कुरसी जोड़ने का भी काम करेगी। उन्होंने ने यह भी कहा कि कुरसी अमूल्य चीजें है। कुरसी के बगैर देश का विकास नहीं हो सकता। मेरे दल के पास कुरसी नहीं होने के कारण मेरे दल के संत-महात्मा दल को छोड़कर जा रहे हैं। उन्हें लगता है कि वे कुरसी के लिए ही पैदा हुए हैं और कुरसी के लिए ही उनका जीवन निछावर है। 

Hindi Hasya Vyang
बोतलदास की बातों को सुनकर लोगों ने खूब तालियां पीटी। कई लोगों ने तो कहा " दिल को बहलाने के लिए गालिब यह ख्याल अच्छा है। " इसके बाद बाबा काफिला आगे बढ़ गया। काफिले में शामिल कुछ लोग कुरसी जोड़ो यात्रा सम्बन्धित बैनर लिए हुए थे तो कुछ लोग तख्तियां लिए आगे बढ़ रहे थे।

 

कुछ लोग नारे लगा रहे थे- " देखो बाबा आये हैं, कुरसी जोड़ो का मंत्र साथ में लाये हैं।"  बीच-बीच में ये नारे लगाये जा रहे थे कि " बाबा तुम कुरसी जोड़ो, गर मिल जाये तो फिर कभी न छोड़ो।"
नारे सुनकर बाबा खुश हो रहे थे। हाथ जोड़कर लोगों को प्रणाम कर रहे थे। लोग भी अपने नजदीक उन्हें देखकर गदगद हो रहे थे। कुछ लोग बाबा से हाथ मिला कर उनसे पूछ रहे थे कि बहुत दिनों बाद आपको जनता की याद आई। उत्तर में वे कहते आई तब न कुरसी जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। 


बाबा की यह यात्रा विरोधी दलों को सुहा नहीं रही थी। एक दल के प्रवक्ता ने कहा बाबा की यह यात्रा स्वास्थ बनाओ यात्रा है। एक ने कहा कि कुरसी गांव-देहात में घूमने से नहीं मिलती है। कुरसी जुगाडू़ चीज है। इसकी जुगाड़ तो अब विधायकों को कैद में करके किया जाता है। जिस दल के लोग जुगाड़ संस्कृति में जितने माहिर होते हैं। वे उतनी ही आसानी से कुरसी हासिल कर लेते हैं। बाबा को चाहिए कि कुरसी हासिल करने के लिए जुगाड़ तकनीक का सहारा लें। इस तकनीक के माहिर लोग अब बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। अगर ऐसे लोग आसानी से नहीं मिलें तो उन्हें गूगल में सर्च करना चाहिए। 


कई दिनों तक शहरों में चलती हुई बाबा की यह यात्रा एक गांव में पहुंची। बाबा ने वहां देखा कि कुछ लोग एक बरगद के नीचे खाट पर बैठे हैं और कुछ लोग खाट पर लेटे हैं। जब उन्हें पता चला कि बाबा कुरसी जोड़ो यात्रा पर निकले हैं तो उधसे कहने लगे कि आपको कुरसी जोड़ो यात्रा की अपेक्षा खाट जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए। कुरसी पर तो सिर्फ बैठा जा सकता है, परंतु खाट पर पूरी तरह लेटा जा सकता है। इतना ही नहीं  विरोधी दलों की खाट भी खड़ी की जा सकती है। 


बाबा बोतलदास को ग्रामीणों की यह सलाह अच्छी लगी। वहां के ग्रामीणों ने समझा कि बाबा जिस कुरसी पर बैठते रहे होंगे वह टूट गयी होगी। इसलिए वे कुरसी जोड़ो यात्रा पर मेरे गांव में आये हैं। चलते वक्त बाबा जिस लकड़ी की कुरसी पर बैठे थे  उसे ग्रामीणों ने उन्हें उठाकर दे दिया और कहा यह कुरसी आपके लिए ही बनवाई गई थी। आप इसे ले जाए और जहां जी चाहे वहां लगा दे। इस कुरसी का कोई जोड़ नही है। यह गांव  की बनी है। इसका कोई जोड़ नहीं है। 
इसके बाद बाबा का काफिला आगे बढ़ गया। 


तारीख: 11.01.2024                                    नवेन्दु उन्मेष









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है