दारोगा जी से कहियो पत्रकार लिखे न्यूज

आपने तो बड़ा नेक काम किया दारोगा जी कि पत्रकारों को थाने में बुलाया और नंगा कर दिया। यहां तक कि उनकी नंगी तस्वीरें भीं उतरवाई। जिस नेता के कहने पर यह सब काम आपने किया उसे कम से कम आपको पद्मश्री तो दिलाना ही चाहिए। दारोगा जी आप शायद भूल गये कि पत्रकार ही आम आदमी को नेता बनाता है विधायक से लेकर मंत्री बनाने में नेता की खबर छापकर मदद करता है। एक कहावत है ’ जहां न जाये रवि वहां जाये कवि।’ लेकिन अब तो जहां तक पुलिस वाले नहीं जाते वहां तक पत्रकार पहुंच जाते हैं और वहां की खबरें लाते है। पत्रकार का सिद्धांत है जो ’ खबर मैं ओढ़ता, बिछाता हूं वह खबर आपको सुनाता हूं।’
दारोगा जी आप तो थाने में पतझड़ के पीले फूल की तरह है जिसे एक न एक दिन झड़ जाना है। यही कारण है कि आपको पुलिस विभाग ने थाने से बाहर निकाल कर पुरस्कारस्वरूप लाइन हाजिर कर दिया। लेकिन आपको तो नेक काम के लिए पुलिस विभाग को पुरस्कृत करना चाहिए था। लेकिन शायद विभाग ने भी आपके साथ न्याय नहीं किया। 
दारोगा जी आपने तो अपने अधिकार का उपयोग करते हुए थाने में पत्रकारों को नंगा कर दिया लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आज से तीस साल पहले असम में आपके कुनबे के कारण महिलाओं को भी नंगा होना पड़ा था। तब महिलाओं ने कहा था * पुलिस रेप मी ’ यानि * पुलिस मुझसे बलात्कार करो।*   
दोरोगा जी आपको पता होना चहिए कि देश -दुनियां की खबरें पत्रकार ही लाते हैं। सत्ता पत्रकार बनाते है और सत्ता पत्रकार ही बिगाड़ते हैं। पत्रकार के कारण कितनी सरकारें आयीं और चली गयी। आप पर भी जब कोई आफत आती है तो वह खबर भी पत्रकार लाते हैं और उसे छापकर आपकी मदद करते हैं। आपके एसोसिएशन के लोग भी सरकार तक आपकी समस्याओं को पहुंचाने के लिए विज्ञप्ति लेकर सबसे पहले पत्रकार के पास पहुंचते हैं। तब जाकर सरकार को पता चलाता है कि पुलिस विभाग की भी कुछ समस्याएं हैं। विधायक अगर विधान सभा में आपकी कोई समस्याएं रखते हैं तो यह खबर भी पत्रकार ही आपको बताते हैं। 
दारोगा जी आपको मालूम होना चहिए कि छत्तीसगढ़ के अबूझमांड़ में आपके कुनबे के लोगों को दिन में जाने में डर लगता है तो वहां की खबरें भी पत्रकार ही जान जाखिम में डालकर लाते हैं। झारखंड में जब नक्सलियों के डर से सूरज ढलते ही कई थानों के दरवाजे बंद हो जाते थे तो पत्रकार ही लोगों और नक्सलियों की खबरें लाया करते थे। बीरप्पन जैसे कुख्यात चंदन तस्कर की खबरें भी पत्रकार ही लाते थे। आपके कुनबे के लोग जीते जी बीरप्पन तक पहुंच नहीं पाये, लेकिन पत्रकार ही थे जो उसकी खबरें भी लोगों तक पहुंचाते थे।  
इन सबके बावजूद दारोगा जी किसी पत्रकार ने फांसी लगाकर आत्महत्या नहीं की। पत्रकार बुजदिल प्राणी नहीं होता कि खबर लिखने के कारण फांसी लगा ले। इसलिए आपका यह तर्क कमजोर है कि पत्रकार आत्महत्या कर लेते इस कारण आपने उनके कपड़े उतरवा लिये। दारोगा जी अपको पता होना चाहिए कि पुलिस बैरक में पुलिस वाले पुलिस वालों पर गोलियां चला देते हैं लेकिन किसी मीडिया हाउस में किसी पत्रकार ने किसी पत्रकार पर कलम भी नहीं चलायी।
दारोगा जी आपको पता होना चहिए कि पत्रकार का काम है न्यूज लाना और न्यूज लिखना। न्यूज अच्छी भी हो सकती है ओर बुरी भी। न्यूज लिखकर लोगों की जान बचायी भी जा सकती है और खबर बनने वाले शख्स की जान भी बचायी सकती है। कोरोना की पहली खबर भी आपको पत्रकारों ने दी थी। तब आप और आपकी सरकार इसको लेकर अलर्ट हुई और आपकी और आम लोगों की जान भी बची। 
 


तारीख: 13.03.2024                                    नवेन्दु उन्मेष









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