क्या करेंगे इतनी धनराशि का

काफी देर तक हमारा दिमाग चकराता रहा। हो सकता है सब्जियों की तरह दूध भी इन रंगों में आ रहा हो! विज्ञान कुछ भी कर सकता है। लेकिन फिर ख्याल आया कि बिग बी इतने स्माल सवाल नहीं पूछं्रेगे। पुरानी संस्कृति से जुड़े हैं। हमने भी डी - सफेद लॉक कर दिया।
लो भाई साहब! उधर से नेवता आ गया कि आप का चयन कौन बनेगा करोड़ पति की हॉट सीट के लिए हो गया है। यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। बोले तो आज की लैंग्वेज में वायरल हो गई। हमारा तवा भी गर्म हो गया।
      तात्कालिक प्रभाव तो यह पड़ा कि श्री मती जी का एक ही डायलाग कि हर वक्त मोबाइल को चिपटे रहते हो,कभी इधर भी ताक लिया करो.....का अंत हो गया। फोन पर फोन बजने लगे। हमारे एक परम मित्र एडवांस में मिठाई का डिब्बा ले आए और अपनी एडवांस बुकिंग यह कह कर करा गए कि तुम कई जगह अटकोगे जरुर । अमिताभ सर आपसे जरुर पूछेंगे कि वीडियो कॉल किसे लगाई जाए तो भईया हमारा नाम ले देना। कितना अच्छा लगेगा, जब वो बोलेंगे- मिश्री लाल जी प्रणाम ! मैं अभिताभ बच्चन बोल रहा हूं । कैसे हैं आप? भईया करोड़ों लोग देखेंगे। मोहल्ले में कोई घास तक नहीं डालता.....शान बन जाएगी।अपना पउव्वा फिट हो जाएगा पूरे  कानपुर में।
        इधर श्रीमती जी ने पार्लरों के द्वार खोल दिए। कहने लगी-अब वो पूछेंगे कि कंपैनियन के तौर पर आप किसे लाए हैं तो क्या उस कलमुंहीं को ले जाओगे जो रोज तुमसे चपर चपर करती है?यही नहीं ,अपनी सात आरिजनल सालियां भी मुंबई दर्शन के लिए उछलने लगीं।
बाबू रामलाल परिवार सहित छोटी दिवाली पर कई तरह के उपहारों समेत पधारे और बोले कि हम तुम्हारे लिए वहां की तैयारी के लिए बहुत सी किताबें,जनरल नालेज की पत्रिकाएं,अखबार की कतरनें लेकर आए हैं ताकि तुम इस अमृत महोत्सव में साढ़े सात करोड़ जीत सको। बाद में पता चला बाबू ने इस महोत्सव पर, घर का कूड़ा कचरा साफ किया था और रदद्ी में हमें पुरानी किताबें पत्रिकाएं टिका गए और चाय समोसे डकार गए।
        यह खबर सुनकर एक बच्ची हमें एलेक्सा थमा गई। समझा गई कि अंकल इससे जनरल नालेज का कोई भी सवाल पूछो ,यह एक सैकेंड में उसका सही उत्तर दे देती है,आपको किताबें नहीं पढ़नी पड़ेगी।
     तभी गांव से किसन बाबू दल बल सहित टपक पड़े और लंच अंदर कर के बोले- भईया! अब विरोधी दल की सरकार हमारे गांव की कुछ सुनत नांही, जैसे ही अमितभवा ढेर सारी धन राशि आपके एकाउंट में डालेंगे और पूछेंगे- इतनी धनराशि का क्या करेंगे आप ? तो कहि दियो कि हमरे गांव लखनपुर मां गरीबों के लिए, एक ठौ अस्पताल खोलेंगे।
       अभी हम अपनी चाय तक नहीं पी सके थे कि एक नई पार्टी के नेतानुमा सरदार लाल सिंह लंगरवाले पधार गए और नॉन सटॅाप चालू हो गए- बई सपाटू जी! लख लख बधाइयां होण। सुण्या जे करोड़पति बनण जा रए हो। साडड्ा वी ख्याल रखणा। पच्ची सालां तों लंगर चला रहे हां। हुण कोई पैसे नीं देंदा। बस हुण जे तुसीं मदद कर दियोगे, आपां सारी जिंदगी लंगर लांदे रहांगे। इस वारी उम्मीद है सरकार लंगर लाण ते मैनूं पदम श्री जरुर देवेगी।
        रात को फुर्सत मिली तो हमारे छोटे शहनशाह कहने लगे- मैनें एजेंट से बात कर ली है कनाडा जाने की। पचास लाख पहले । पचास कनाडा पहुंचने पर मांग रहा है। पापा इंडिया में रखा ही क्या है? आधा पंजाब तो वहीं सैटल हो गया है। मैं यहां क्या करुंगा?
       तभी एक फोन आया जिसने बहुत लंबा रिश्ता बताया और कहने लगा- आपकी भतीजी 35 की हो गई है। कहीं शादी नहीं हो रही। अब इतने पैसे कहां से लाएं कि लड़के वालों का मुंह कार,प्लाट,मकान,जेवर ,कैश से भर सकें। आपका ही सहारा है। जब बिग बी पूछें कि इतनी धनराशि का क्या करेंगे तो साफ साफ कह देना- हमें म्युच्युल फंड में पैसा लगाने से क्या मिलेगा यदि भतीजी के हाथ ही पीले नहीं हो रहे ?
एक और सज्जन आ गए ,व्यथा सुनाने लगे- सर! बैंक से लोन लिया था । पांच साल हो गए। अभी 50 के 50 लाख खड़े हैं। भगवान करे आप पूरी रकम जीत के आएं और हमारा लोन चुकता हो जाए। हम बाद में आपकी पाई पाई चुका देंगे।
         हालत ये थी कि शहर बसा नहीं और मंगते पहले आ गए। वर्मा जी जो कभी आंख तक नहीं मिलाते थे,सपत्नीक पधारे और के.बी.सी के गुण गाते, बच्चन जी की मधुशाला गुनगुनाते,अमिताभ की फिल्मों के गीतों का इतिहास बताते, घंटे भर बाद मुदद्े पर आए- भाई साब! ये कंम्बख्त मैनेजर हमारा लोन पास नहीं कर रहा। हमारी फैक्ट्र्ी का काम लटका दिया है। हमें पूरा यकीन है जो भी धनराशि आपको मिले,उसमें से दो चार करोड़ हमारे लिए रख लेना। जैसे ही हमारा लोन सैंक्शन होगा आपका पैसा ब्याज समेत वापस। वादा पक्का है न ? कह कर जोश में  उन्होंने हमारा हाथ मसल ही डाला नहीं अपितु कुचल डाला।
      हम खुद परेशान थे सोच सोच कर कि इतनी धनराशि का क्या करेंगे और इस सवाल का जवाब
क्या देंगे। तभी श्रीमती जी का दिमाग चल गया- सुनते हो? सबकी छोड़ो। इस तीन कमरे के कबूतरखाने में 30 साल हो गए हैं। सैक्टर चार के पॉश इलाके में 10 का अच्छा बंगला मिल जाएगा। साढ़े सात ये और ढाई का बैंक फायनेंस और इक बंगला बने न्यारा...।
सारा घाटे का बजट बनते जा रहा था। इधर आने जाने वालों का तांता ऐसे लगा हुआ था मानों हमने कोई इलैक्शन जीत लिया हो!चाय पानी की छबील और  पकौड़ों,समासों,बर्फियों का लंगर हमारे घर बाकायदा चल रहा था।
      कुछ सगे संबंधी पुराने यार दोस्त ,हमारे पुश्तैनी मकान में डेरा डाल कर बैठ गए कि यहां हमारे जीवन पर वीडियो बनेगी और हम भी इनके बारे अच्छी अच्छी बातें बोलेंगे। टी वी पर दिखेंगे। एक बुढ़उ भी टपके और सुझाव देने लगे- अमां यार! ये जो सदी के महा नायक है न .......हैं बड़े मजाकिया। और जब शरमाते हैं तो होंठ दातों से दबा लेते हैं। तुम भी कह देना कि सर! आपसे एक बात करनी है। वो आपको अनुमति देंगे तो रेखा का हालचाल पूछ लेना । बस फिर उनकी मुस्क्ुराहट,शर्माहट और खिसिआहट एक साथ दातों और होठों के बीच झलकने लगेगी।
      एक बंधु पधारे और सारे नियम दोहराने लगे। समझाने लगे कि जब तक कांफिडेंट न हो,लॉक न करवाना। नहीं आता तो क्विट करने में ही भलाई है ....न कि साढ़े सात करोड़ से सीधे 10 हजार या तीन लाख बीस हजार पर टपकने के।
      हमारा अपना मासिक बजट ,आवभगत के कारण घाटे में आ गया।सरकार तो टैक्स लगा कर घाटा पूरा कर लेती है। हम क्या करते? हमें अपने दूकानदार से सारी ग्रासरी उधार लेनी पड़ रही थी। बचत बैंक जीरो दिखा रहा था। साढ़े सात करोड़ में कितनी जीरो होती हैं, गिन नहीं पा रहे थे।
दिन का चैन नदारद था। रातों की नींद गायब थी। इसी उधेड़बुन में एक रात नींद की गोलियां खाकर हम सो गए।
      भला हो श्री मती जी का । उन्होंने सुबह सुबह रोज की तरह हमारे कान में बांग दी, जोर जोर से हिलाया और चिल्लाईं- उठो! अगर ब्रेकफास्ट करना है तो बूथ से दूध और ब्रेड ले आओ। रिटायर क्या हुए.....हमेशा कुंभकरण बने रहते हो!
     हमने भी आखें मली और सोचने लगे कि यदि वो न झकझोरती,हम तो साढ़े सात करोड़ के चक्क्र में साढ़े सात जन्मों में भी इस गड़बड़झाले से बाहर नहीं आ पाते।


तारीख: 12.03.2024                                    मदन गुप्ता सपाटू









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है