द शो मस्ट बी गो ऑन

जैसे – जैसे शादी की तारीख नजदीक आती जा रही थी , प्राची की बेचैनी बढ़ती जा रही थी | उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे | उसे बार – बार वही सभ याद आ रहा था कि कैसे माँ के गुजर जाने के बाद उसने पूरे घर को संभाला, सारी जिम्मेदारियां खुद के कंधे पर ले ली |

लगभग दस साल हो गये प्राची की माँ को गुजरे हुए जब वह मात्र 17-18 साल की रही होगी | उस समय वह ग्यारवी कक्षा मे पढ़ती थी | इस घटना ने नटखट और अल्हड़ सी लड़की को कितना परिपक्व और समझदार बना दिया था |

सुबह सवेरे जल्दी उठना घर के सारे काम निपटाना , खाना बनाना , भाइयों और पिता की हर छोटी – छोटी जरूरतों का ख्याल रखना जैस माँ किया करती थी |

अड़ोसी पड़ोसी भी प्राची की तारीफ करते नहीं थकते थे कि इतनी सी उम्र मे उसमे बहुत ज्यादा समझदारी है | करीब दस साल पहले दोनों भाई छोटे थे तो उनको माँ की तरह ही उसने संभाला | प्रारम्भ मे उसे खाना बनाने मे परेशानी आती थी पर अब देखो हर काम मे परफेक्ट हो चुकी है |

किसी भी घर मे महिला का होना अत्यंत आवश्यक है | उसी से उस घर की जान होती है  | सही मायनों मे तो किसी घर की आत्मा वह महिला होती है जो उस ईंट और कंक्रीट के ढांचे को घर बनाती है | जिसकी एक मुस्कुराहट मे दुनिया भर की आफत और परेशानियों को दूर करने की ताकत होती है |

प्राची की दिनचर्या सुबह 7 बजे पानी आने से शुरू होती फिर सबके लिए चाय नाश्ते के बाद घर के काम निपटा कर खुद का कॉलेज और वंहा से वापस आकर फिर घर के कामो मे जुटना | घर संभालना एक ऐसी जॉब है जिसमे न तो कोई समय सीमा है और न ही कोई छुट्टी इसे आसान तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता | हाँ पर भारत मे महिलाएं इसे बोझ नहीं समझती इसलिए इसे निभाना अपना कर्तव्य मान कर निभाती है | इसे किस्मत ही कहिए की हमारी बेटी प्राची भाइयों से बड़ी है वरना क्या होता , प्राची के पिता अक्सर इस बात का जिक्र किया करते थे |

ज्यों ज्यों शादी नजदीक आ रही थी प्राची को डर सताने लगा था कि जब वह इस घर से चली जाएगी तो बिना किसी महिला के घर को कौन संभालेगा | पिता और भाइयों का ख्याल कौन रखेगा |

हमारे दिमाग मे दिन भर न  जाने कितने ही विचार आते है  और चले जाते है पर कुछ विचार जो निरंतर आते है और दिमाग उनका उत्तर नहीं तलाश पाता वह विचार चिंताए बन जाती है | चिंता व्यक्ति को नीरस बना देती है जिससे अंदर ही अंदर व्यक्ति घुलने लगता है | इसलिए चिंता को चिता के समान माना गया है |

बातचीत सबसे अच्छा और आसान तरीका है चिंताए कम करने का | बिना कोई रास्ता निकले चिंता खत्म हो जाये ये तो संभव ही नहीं है पर किसी प्रिय से बात करके मन अवश्य हल्का हो जाता है | उसके जाने के बाद क्या और कैसे होगा सभ , यही प्राची कि चिंता बन गयी थी | उसका मन उखड़ा उखड़ा सा रहता और अब तो शादी मे भी केवल कुछ हफ़्तों का ही समय बचा था |

अपनी ही चिंताओ का पिटारा लिए , ख्यालो मे खोई हुई प्राची घर की खिड़की से बाहर झांक रही थी | दोपहर का समय था तभी रश्मि दरवाजा खोल के अंदर आती है पर ख्यालो मे खोयी प्राची को किसी के आने की आहट सुनाई नहीं देती | रश्मि ने इधर उधर ढूंढा तो उसे प्राची खिड़की के पास खड़ी दिखी | अरे अभी से सैयां जी के ख्यालो मे इतना खो गयी क्या पीठ पर थप्पी मारते हुए रश्मि ने कहा | तुम कब आई प्राची ने पुंछा इस पर रश्मि ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया जब तुम अपने होने वाले सैयां जी के ख्यालो मे व्यस्त थी |

प्राची – ऐसा कुछ नहीं है |  रश्मि – तो कैसा है | मैडम !

रश्मि प्राची की अच्छी दोस्त थी साथ ही प्राची की नजर मे समझदार भी थी तो उसने सोचा अपनी असमंजस की स्थिती को रश्मि के साथ साझा करती हूं क्या पता ये कोई समाधान या सुझाव दे सके | प्राची ने रश्मि के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि ऐसे ही आजकल थोड़ी परेशान सी चल रही हूं बस और कुछ नहीं |

रश्मि – तुम मुझे बता सकती हो वैसे कि क्या परेशानी है ?

प्राची ने अपनी सारी व्यथा और चल रही उधेड्बुन का व्याख्यान रश्मि के सामने कर दिया | अब बारी रश्मि की थी कि वह क्या सुझाव देती है |

रश्मि – प्राची तुम कभी थिएटर गयी हो जंहा मंच पर नाटक होते है |

प्राची – हाँ, पर इस बात का यंहा क्या मतलब ?

रश्मि – अरे सुनो तो ! तुम्हें पता है जब थिएटर बंद होता है और वंहा कोई भी नहीं होता तब भी एक छोटी सी लाइट मंच पर जलती रहती है |

वह घोस्ट लाइट कहलाती है जो हमेशा जलती रहती है ये लाइट तीन चीजो का प्रतीक है | पहला- होप यानी उम्मीद , इस बात की उम्मीद कि नाटक अभी रुका हुआ पर वह फिर शुरू होगा क्योंकि लाइट अभी भी जल रही है

दूसरा – कम बैक अर्थात अभी मंच पर कोई किरदार नहीं है पर जलती लाइट बता रही है कि कोई नया किरदार आने वाला है |

तीसरा – “ द शो मस्ट बी गो ऑन ” मतलब के कोई किरदार रहे या न रहे रंगमंच पर शो (नाटक) निरंतर जारी रहता है |

इस प्रस्तावना के बाद रश्मि ने प्राची की ओर देखते हुए कहा कि शेक्सपीयर ने कहा था कि ज़िंदगी रंगमंच है और हम उसमे बस अपना किरदार निभाने आते है | चाहे कोई भी किरदार रहे या न रहे ये कारवां रुकता नहीं है | कुछ दिनो मे तुम्हारा नया किरदार शादी के बाद कंही और शुरू होने वाला है | तुम्हें उसपर ध्यान देना चाहिए | यहाँ भी तुम्हारे बिना किसी न किसी नए रूप मे व्यवस्थाए धीरे – धीरे अनुकुल हो जायेंगी |

प्राची – ये सभ मनोवैज्ञानिक बाते बस सांत्वना देने के लिए ही ठीक है |

प्राची की इस बात का उत्तर देते हुए रश्मि ने कहा कि आज से दस साल पहले किसे उम्मीद थी कि तुम सब कुछ इतने अच्छे से संभाल लोगी | परिस्थितियो के अनुसार रास्ते खुद निकल आते है | उस समय सभी को यही लगा होगा कि अब आगे क्या होगा पर तुमने परिस्थितियो के अनुसार खुद को बदला था ना | अब तुम ज्यादा सोचना बंद करो |

रश्मि की नजर घड़ी पर पड़ी तो मालूम हुआ बातों – बातों मे दो घंटे गुजर गये पता ही नहीं चला | रश्मि – अच्छा प्राची मै चलती हूँ |  प्राची – आज तो तुझे चाय तक नहीं पुंछी मैंने | मेरा क्या है मै तो आती रहूँगी बार – बार रश्मि ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया |

रश्मि इस बात को जानती थी कि उसकी बातों से आज प्राची को केवल सांत्वना ही मिली होगी क्योंकि प्राची के किसी सवाल का जवाब उसके पास भी नहीं था | रात मे इसी विचार के साथ बैठे – बैठे रश्मि मोबाइल हाथ मे लिए सोशल मीडिया पर अंगुलियाँ घुमा रही थी कि अचानक उसे प्राची का स्टेटस दिखाई दिया जिसे देख उसे थोड़ी राहत महसूस हुई |

स्टेटस मे बड़े बड़े अक्षरो मे लिखा था :- “ द शो मस्ट बी गो ऑन ”  ( THE MUST BE GO ON )


तारीख: 23.02.2024                                    कल्पित हरित









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