आजकल

हर एक पल बड़े ही 'तनाव' में जी रहा हूँ,
में आज कल सुख के 'अभाव' में जी रहा हूँ।
दिन रात का होश नही बस समय गुजारता हूँ,
मैं आजकल तानो के 'दुष्प्रभाव' में जी रहा हूँ।।

हर दिन गुजरता है चिंताओं में मेरा,
मै आज कल अजीब से स्वभाव मे जी रहा हूँ।
बुरे सम्बोधन से मन दुखी रहता है,
मै आजकल दुष्वारियों के 'कुप्रभाव' में जी रहा हूँ।।

किस्मत मेरे साथ नही और सब लोग भी विरोधी है,
मै आजकल फिर भी जीत के 'भाव' मे जी रहा हूँ।
बहता था कभी मै भी इन नदियों की तीव्र धार सा,
मै आजकल चुपचाप शांत 'जमाव' सा जी रहा हूँ
 


तारीख: 08.04.2024                                    रोहिताश बैरवा









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