बहुत हुआ, अब चलते हैं

बहुत हुआ, अब चलते हैं। 
करो दुआ, अब चलते हैं । 

आसमां हुआ ज़मीं ..
और ज़मीं -आसमां !
झूठ के अब पाँव हुए, 
सच हुआ-कोई दास्ताँ !
रही न वो आबो-हवा .. 
बहुत सहा-अब चलते हैं ।  
करो दुआ-अब चलते हैं । 

ख़ून … पानी सा हुआ ।   
पानी भी ...फ़ानी हो गया । 
नफ़रत का हर तरफ़ धुँआ .. 
साँसो में बसा हुआ ...
ज़हर बनी गई है दवा ..
इंसान इंसान न रहा । 
चलो यहाँ से - अब चलते हैं ।  

बहुत हुआ - अब चलते हैं 
करो दुआ - अब चलते हैं


तारीख: 28.06.2017                                    संध्या राठौर









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