बेटी, माथे पर रखी इक सुखद बोसा। धूप, जैसे कि विटामिन- डी की लड़ियाँ।
दिन भर की थकान पर, चमकते ठण्डे सितारों की आसमां।
घर के कोनों में गूंजती, आत्मविश्वास हो।
हाँ, एक प्यारा सच यह भी, बिटिया, तुमसे जीने का शऊर भी।
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