बेटी

बेटी, 
माथे पर रखी इक सुखद बोसा। 
धूप, 
जैसे कि विटामिन- डी की लड़ियाँ।

दिन भर की थकान पर, 
चमकते ठण्डे सितारों की आसमां। 

घर के कोनों में गूंजती,
आत्मविश्वास हो। 

हाँ, एक प्यारा सच यह भी, 
बिटिया, 
तुमसे जीने का शऊर भी।


तारीख: 20.02.2024                                    अदिति शंकर




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