तुम आये दिल के धागे खोलते गए
मैं खुलती गयी , तुम मैं मिलती गयी
तुम आये रोशन उजालों की सफेदी लिए
मैं रंगती गयी, तुम में रमती गयी
तुम आये रंगों की बहार लेकर
मैं सिमटती गयी , तुम में लिपटती गयी
तुम आये ख्वाबों को संजोय हुए
मैं वो ख्वाब जीती गयी, तुम पे मरती गई
तुम आये मुझे मोहोब्बत सिखाने
मैं सीखती गयी , तुम से इश्क़ करती रही
तुम आये मेरा इम्तेहान लेने
मैं अव्वल आती गयी, तुम्हें पाती गयी
तुम आये पन्ने दर पन्ने पलटते गए
मैं खुलती गयी खुदमे सुलझती रही
और तुम में उलझती गयी