एक बहरूपिया है जीवन

एक किताब है जीवन, 
कुछ कहानियां हैं 
जीवन के पन्नों पर|
 कुछ अनकही भी हैं, 
कुछ अनबुनी  भी  हैं|
कुछ है ं.. 
जिनहें लिखा है अंत तक, 
पहुंचाया है आयाम तक |

जो अनकही रह गई 
उनके शब्द नहीं मिले, 
 वर्ण खो गए गए ,
स्वर रुदं गए |
जो अनबुनी रह गई , 
उनके गुंजल शायद बाकि हैं, 
कुछ उलझे हैं ज्यादा 
कुछ सुलझ गए हैं|

एक स्वेटर है जीवन,
 ऊन में कुछ रूंए उठ गए हैं, 
 पर धूप लगवा कर कर 
समेटकर सहेज कर रखा है
 शायद खुश्क ठंड में गर्म रखें, 
यादों की गर्माहट में|
 जो सहेज के रखी हैं 
अंतरमन के संदूक में |

एक डगर है जीवन, 
कहीं साथी हैं 
कुछ हिस्सों में निर्जन भी है ,
डगर चलती ही गई 
साथी..कुछ साथ रहे , 
कुछ छूट गए |
साथी बदलते रहे
 और डगर भी
 मंज़िल पाई नहीं
 अभी चलते ही जाना है |

एक मंजिल है जीवन
 जिसको पाना
 जरूरी नहीं शायद 
पर वो कहानियां 
जो अनकही हैं
वो सपने जो अनबुने हैं 
वो साथी जो छूट गए
 स्वेटर के रूओ की तरह
 चिढ़ाते हैं कभी-कभी 
संदूक से निकलकर 

एक बहरूपिया है जीवन....


तारीख: 11.04.2024                                    अनीता चिटकारा









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