अकेले किया हैं गुजारा ।
किसी ने दिया न सहारा ।।
खो गए जो तुम्हारे थे आशिक ।
दोष क्या हैं बताओ हमारा ।।
रात बेचैनियो मे गुजारी ।
देखते देखते एक तारा ।।
हर तरफ छा गयी हैं उदासी ।
छोड़कर चल दिया वो आवारा ।।
सारे रिश्ते पराए हुए हैं ।
कह रही मात गंगा की धारा ।।
अश्क नैनों से रोये लिपटकर ।
तुमने जब हमको दिल से पुकारा ।।
दुश्मनो को पराजित किया हैं ।
दिल मेरा दोस्तों से ही हारा ।।
आके घुल जाओ मेरे बदन मे ।
'पीयूष' हैं जग मे सबसे ही न्यारा ।।