मैं हिंदी की बेटी बन, सदा शीश नवा नमन मैं करती हूँ
नित रचनाएँ हिंदी में क़लम मे, भर -भर स्याही से मैं रचती हूँ
राष्ट्रभाषा हिंदी को शीश झुका वंदन मैं करती हूँ ।
सिरहाने रख हिंदी के अक्षर नई -नई कहानियाँ सपनों में मैं गढ़ती हूँ ,
हिंदी भाषा के राष्ट्रगान का गा गुणगान व्यक्त नंदन मैं करती हूँ।
हिंदी रत्न पन्ना से ,मुक्तक लिख -लिख नक़्क़ाशी पन्नों पर मैं करती हूँ हिंदी ,
हिन्द और हिन्दुस्तान का सदा अभिनंदन मैं करती हूँ ,
शब्द मोती एक -एक उठा कवित्त माला में अभिव्यक्त मन रंजन ,
मैं करती हूँ मैं हिंदी की बेटी बन शीश नवा नमन मैं करती हूँ ।