मैं हिंदी की बेटी बन।

मैं हिंदी की बेटी बन, सदा शीश नवा नमन मैं करती हूँ

नित रचनाएँ हिंदी में क़लम मे, भर -भर स्याही से मैं रचती हूँ

राष्ट्रभाषा हिंदी को शीश झुका वंदन मैं करती हूँ ।

सिरहाने रख हिंदी के अक्षर नई -नई कहानियाँ सपनों में मैं गढ़ती हूँ ,

हिंदी भाषा के राष्ट्रगान का गा गुणगान व्यक्त नंदन मैं करती हूँ।

हिंदी रत्न पन्ना से ,मुक्तक लिख -लिख नक़्क़ाशी पन्नों पर मैं करती हूँ हिंदी ,

हिन्द और हिन्दुस्तान का सदा अभिनंदन मैं करती हूँ ,

शब्द मोती एक -एक उठा कवित्त माला में अभिव्यक्त मन रंजन ,

मैं करती हूँ मैं हिंदी की बेटी बन शीश नवा नमन मैं करती हूँ । 


तारीख: 14.09.2017                                    पूजा कालरा









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