मैं एक लेखक तो नहीं हूँ

मैं एक लेखक तो नहीं हूँ, पर लिखने से डरता भी नही
मैं एक शायर भी नही हूँ, पर शब्दों को बुनने से झिझकता भी नही
पर...
भाव तो बहुत है मन में, बस ये अल्फाज़ ही कम पड़ जाते है
बताना तो बहुत कुछ चाहता हूँ, बस ये जुबान रुक सी जाती है
हवा का बहना, फूलों की खुशबू तो मुझे भी महसूस होती हैं
पर कैसे बयां करू उसको इसी सोच में रह जाता हूँ
प्रकृति की आवाज़ मुझे भी सुनाई देती है, गीत तो मेरे दिल में भी उमड़ते है
बस ख़ता ना हो जाये इस आवाज़ से, ये सोच के मैं गा नही पाता हूँ
आसमां के चमकते हुए तारों में अश्क तुम्हारा मुझे भी दिखाई पड़ता है
पर कैसे उतारु उसे कागज़ पे, मैं रंगों से खेल भी तो नही पाता हूँ
याद तो तुन्हें हम नही करते, क्योंकि याद तो उन्हें किया जाता है जिन्हें हम अक़्सर भुला दिया
करते है
हाँ सपने तो तुम्हारे साथ मैंने भी बहुत संजोए है,पर हक़ीक़त उन्हें में बना नही पाता हूँ
शाम को उस रास्ते पे तुम्हारे साथ हाथों में हाथ डाले चलना तो मैं भी चाहता हूँ
पर मैं ज़्यादा बोलता नही, उब ना जाओ कही तुम इस बात से मैं घबराता हूँ
मन तो मेरा भी बहुत करता है कि कुछ पल तुम्हारे साथ मैं बिताऊँ,
तुम्हें पाने की एक कोशिश मैं भी कर लूँ, पर मैं एक मुक़्क़ाम तक पहुंचने की कोशिश में ही रह
जाता हूँ
प्यार तो मैंने भी किया है, मोहब्बत मेरे दिल मे भी है
पर कहा ना कि मैं लेखक नही, इसलिए लिख भी नही पाता हूँ ।।


तारीख: 11.04.2024                                    विनीत रावत









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