पंच भूतों से निर्मित हुआ है हमारा जीवन,
जिसकी वजह से एक दिन छोड़ना पड़ेगा हमें हमारा तन,
अवसरों का सदुपयोग करना है इसका प्रयोजन,
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश का है ये संयोजन।
पृथ्वी जैसा विशालकाय चुंबक देखा है कहीं?
पंच गुणों से मिलकर ही बनी है धरणी,
शब्द, स्पर्श, रूप, स्वाद तथा आकर से है इसकी उत्पत्ति,
अहंकार तथा भार के साथ होती है इसमें घ्राण शक्ति।
जल के बिना क्या जीव है संभव?
चत्वार: गुणों से मिलकर ही बना है उदक,
शब्द, स्पर्श, रूप तथा रस से है इसका उद्भव,
बुद्धि तथा शीतलता का संयोग है ये द्रव।
अग्नि जैसा रौद्र रूप देखा है कहीं?
त्रय: गुणों से मिलकर बनी है वह्नि,
शब्द, स्पर्श तथा रूप से है इसकी उत्पत्ति,
अंधकार में प्रकाश लाना ही है इसकी दैविक शक्ति।
वायु बिना मानव जीवन की कल्पना है क्या संभव?
द्वौ गुणों से मिलकर ही बना है मरुत्: ,
शब्द तथा स्पर्श से है इसका उद्भव,
चेतना तथा गति का संगम है ये संसार का गौरव।
आकाश जैसा असीम क्षेत्र देखा है कहीं?
एक: गुणों से ही बना है अंतरिक्ष,
शब्द से ही है इसकी उत्पत्ति,
आशा तथा उत्साह के साथ होती है इसमें श्रवण शक्ति।