रिहाई

सुनो,
हमारी एक ख्वाहिश है,
तुम उसे पूरी कर दो ,
जो तुम हमें तोड़ने के बारे में सोच रहे हो,
उस इरादे को तुम खुद में ही तोड़ दो।

क्योंकि अब हम वह नहीं जो बहुत
जल्द टूट जाया करती थी,
अब हम खुद के लिए लड़ने वाले है।

अब हम पिंजरे में कैद चिड़िया नहीं
जो फड़फड़ा आया करते थे 
पिंजरे के अंदर!
जिसे इंतजार था तेरी बस
रिहाई का,
अब तो हम खुले आसमान में
उड़ने वाली चिड़िया है।

अब हम वो नहीं जिसे तू
अपने मनमर्जी से चलाया करता था, 
अब हम खुद के लिए जीने
वाले है ।


तारीख: 06.02.2024                                    रश्मि जोशी









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