शादी से बड़ी

शादी से बड़ी  कोई भूल नहीं है
और ये सच,अप्रैल फूल नहीं है ।
खुश वही है रहता शादी के बाद
जिसके लिए पत्नी बबूल नहीं है ।
जींदगी  बेवकूफ बनाती है रोज़
यहाँ कोई वार्षिक उसूल नहीं है।
घर,दफ़तर,बाज़ार या रिश्तेदार
कौन  देता यहाँ  पर हूल नहीं है ।
बंद करो न अजय ये रोना-धोना
हमारे पास वक्त फिजूल नहीं है ।


तारीख: 19.03.2024                                    अजय प्रसाद




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है