शादी से बड़ी कोई भूल नहीं है
और ये सच,अप्रैल फूल नहीं है ।
खुश वही है रहता शादी के बाद
जिसके लिए पत्नी बबूल नहीं है ।
जींदगी बेवकूफ बनाती है रोज़
यहाँ कोई वार्षिक उसूल नहीं है।
घर,दफ़तर,बाज़ार या रिश्तेदार
कौन देता यहाँ पर हूल नहीं है ।
बंद करो न अजय ये रोना-धोना
हमारे पास वक्त फिजूल नहीं है ।