आज मन हुआ

आज मन हुआ कुछ खास लिखूँ
कुछ अपने दिल की बात लिखूँ
कोई याद छिपी मीठी सी है
जज्बात भी काफी गहरे हैं
पर फिर भी कैसी उलझन है
अल्फाज नही है कहने को
अहसास ही अच्छा लगता है
न जाने कैसा रिश्ता है
न साथ मिला न साथी है
बोलो कैसे ये बात कहूँ
जब वो साथ नही है सुनने को।


तारीख: 19.09.2017                                    स्तुति पुरवार




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