झील हो जाना

टोक 
बहुत लगती है मुझको,
और मैं थम जाती हूँ
बढ़ते।

तुमने भी
जब-जब टोका प्यार में 
बहने से मुझको,
मैं वहीं पर थम गयी
झील बन गयी।

झील बहती नहीं है,
वो कहीं पहुंचती नहीं है।


तारीख: 20.02.2024                                    भावना कुकरेती









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