मुझे तू और तबाही के मन्ज़र न दिखा खोखले इन्क़लाब के समंदर न दिखा भला होगा खौफज़दा अब क्यों कोई मर चुका है ज़मीर उसे खंजर न दिखा सदमे में जम्हुरीयत है जहालत देखकर सियासत में है कौन सितमगर न दिखा ।
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