झोपडियाँ और इमारतें

 

कुणाल झा की हिंदी कविता "झोपड़ियाँ और इमारतें"। यह कविता समाज में आर्थिक असमानता और समाज के विभिन्न आर्थिक वर्गों के सह-अस्तित्व पर आधारित है।


तारीख: 21.10.2025                                    साहित्य मंजरी टीम




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