आ भी जा

मेरे सब्र का इम्तिहान ना ले
आ भी जा मेरी "जान" ना ले।।

तेरे विगर जी लूँ में खुशी से
खुदा से ऐसा कोई वरदान ना ले।

मर भी नही सकता तेरे बिन
मेरी मौत का सामान ना ले।

आशिकी में रूसबाई तो खिताब है
मेरे बदले में जहाँ से मान ना ले।

"बेचैन" की हर साँस पर तेरा हक है
हुक्म कर मुझसे कोई एहसान ना ले।


तारीख: 16.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है