खिसक रही है ज़मीं पाँव तले से
और खौफ ज़रा नहीं जलजले से ।
अजीब दौर है आ गया अब दोस्तों
खुदगर्जी फैल रही अच्छे भले से ।
न किसी को मतलब है किसी से भी
न कोई लगाता है किसी को गले से ।
वो तो नफरत से ही देगा हर जवाब
पूछ रहे हो हाल गर दिल जले से ।
तू भी अजय किसे समझा रहा है
बात उतरेगी ही नहीं इनके गले से ।