खिसक रही है ज़मीं पाँव तले से

खिसक रही है ज़मीं पाँव तले से
और खौफ ज़रा नहीं जलजले से ।


अजीब दौर है आ गया अब दोस्तों
खुदगर्जी फैल रही अच्छे भले से ।


न किसी को मतलब है किसी से भी
न कोई लगाता है किसी को गले से ।


वो तो नफरत से ही देगा हर जवाब
पूछ रहे हो हाल गर दिल जले से ।


तू भी अजय किसे समझा रहा है
बात उतरेगी ही नहीं इनके गले से ।


तारीख: 06.09.2019                                    अजय प्रसाद






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