लिखना है तो बादलों पे इबारत लिखो कोई 

लिखना है तो बादलों पे इबारत लिखो कोई 
कभी शबनम तो कभी क़यामत लिखो कोई 

कोहरों के बीच से  रास्ता निकल के आएगा
मंज़िलों के ख़िलाफ़ भी बगावत लिखो कोई 

फसलें नफरतों की सब कट जाएँगी खुद ही 
धरती के सीने पे ऐसी मोहब्बत लिखो कोई

कितनी सदी तक यूँ ही पिसती रहा करेगी 
माँ के थके चेहरे पे अब राहत लिखो कोई 

तुम कहाँ गुम हो,किस ख़्यालात में गुम हो 
दो पल को  अपने लिए चाहत लिखो कोई 

कुछ अनछुए पल, कुछ अनछुए अहसास 
दिल के करीब से बातें निहायत लिखो कोई 


तारीख: 19.08.2019                                    सलिल सरोज









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